खरगोश और कछुए की 4 बेहतरीन कहानियाँ 4 new rabbit and tortoise story in hindi
खरगोश और कछुए की 4 बेहतरीन कहानियाँ 4 new rabbit and tortoise story in hindi
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rabbit tortoise story in hindi |
हम मे से खरोगोश और कछुए की रेस की कहानी तो बहुत बार सुनी है लेकिन इनकी रेस सिर्फ एक बार नहीं बल्कि 4 बार हुई थी चलिए आज इनकी चारों रेस की कहानी को पड़ते हैं लेकिन उससे पहले मई आपसे कुछ आग्रह करना चाहूँगा अगर आपको यह hindi story pasnd आए तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, तो बिना आपका समय लिए शुरू करते हैं इन बेहतरीन hindi stories को
एक बार की बात है एक खरगोश और कछुए के बीच मे बहस हो गई कि कौन सबसे तेज दौड़ सकता है ?बहुत देर की बहस के बाद उन्होंने फैसला किया कि एक रेस से ही फैसला हो जाए, जो इस रेस को जीतेगा वह सबसे तेज माना जाएगा वह दोनों राजी हो गए और रेस के लिए जगह का चुनाव हो गया
अब रेस शुरू हो गई और खरगोश कछुए से बहुत आगे निकल गया और जब खरगोश ने पीछे मुड के देखा तो उसने देखा कि कछुआ तो बहुत पीछे है और मुझ तक पहुँचने के लिए उसको बहुत समय लगेगा तो मई थोड़ी देर आराम कर लेता हूँ यह सोचकर कछुआ आराम करने लगा और आराम करते करते कछुए की आँख लग गई और वह गहरी नींद मे सो गया
खरगोश जब तक उठाया तब तक कछुआ रेस जीत चुका था तो दोस्तों इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि हमे बिना रुके बिना थके अपनी मंजिल को पाने से पहले नहीं रुकना चाहिए जैसे कि वह खरगोश रुका और रेस हार गया
Moral of the story : धीमे और लगातार चलने वाला ही रेस जीतता है , slow and steady win the race
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तो अब ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती खरगोश बेहद निराश हुआ और उसे पता चल गया कि उससे खुद पर ज्यादा भरोसा करने से वह रेस हार गया है अपनी हार से निराश था और उसने एक बार फिर कछुए को चुनौती दे दी कछुए ने भी अपनी जीत की उत्साह मे खरगोश को हाँ कर दिया
खरगोश इस बार बहुत तेजी से भाग कर रेस जीत गया और इस कहानी से सीख मिलती है कि Fast and Steady Win The Race मतलब slow and steady होना तो अछी बात है लेकिन अगर आप अमंजिल की ओर तेजी से बदोगे तो आपको मंजिल जल्द मिल जाएगी लेकिन आपको सही तरीके से बढ़ना है
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लेकिन दोस्तों कहानी यहीं खत्म नहीं होती हार के बाद कछुए ने सोचा कि खरगोश के साथ इस तरीके से तो वह कभी रेस नहीं जीत सकता उसने इस बारे मे बहुत गहराई से सोचा और एक बार फिर से खरगोश को चुनौती दे दी लेकिन इस बार रेस का रास्ता अलग चुना गया
रेस इस बार फिर से शुरू हुई इस बार भी खरगोश बहुत तेजी से भाग रहा था लेकिन खरगोश अभी मंजिल के थोड़ा ही करीब पहुँचने को बचा था तो रास्ते मे एक नदी आ जाती है नदी के पास बैठा खरगोश सोचता रहा कि अब मई आगे क्या करू ? तभी कछुआ आता है और नदी के पार चल के वह जीत गया
तो अब इस कहानी से हमे यह सीख मिलती हैं कि पहले आप काबिलियत को पहचानिए और उसके बाद अपनी field यानि अपना रास्ता चुने
Moral Of The Story : Firstly identify your strenth then choose your path
4.
मगर यह कहानी अभी तक बाकी है अब खरगोश और कछुआ बहुत अछे दोस्त बन चुके थे दोनों ने अपनी कमियों और खूबियों के बारे मे बहुत सोचा उन्हे एहसास हुआ कि वह आखिरी race मे बहुत अच्छा कर सकते हैं और क्यों न एक आखिरी रेस हो जाए और एक बार फिर उन्होंने race करने का फैसला कर लिया
लेकिन इस बार वह एक team कि तरह काम करना चाहते थे दोनों ने साथ मे रेस शुरू कि और इस बार खरगोश कछुए को अपनी पीठ पर बिठाकर नदी तक ले गया लेकिन यहाँ से आगे कछुए कि बारी थी और कछुए ने इस बार खरगोश को पीठ पर चड़ाकर नदी पार कारवाई और इस बार फिर से खरगोश ने कछुए को अपनी पीठ पर बिठाया और दोनों ने एक साथ मिलकर रेस खत्म की
लेकिन अब जो संतुष्टि आज हुई थी वह इससे पहले उन्हे कभी नहीं हुई थी। तो कुल मिलकर हमने इस कहानी से क्या सीखा कि खद मे एक याचा खिलाड़ी होना अछी बात यह है कि अपनी काबिलियत के बावजूद अगर आप बाकियों की काबिलियत के साथ अपना ताल मेल बीठा के एक टीम के रूप मे काम नहीं कर सकते तो ससप चाहे जितना भी कोशिश कर लीजिए आप हमेशा उम्मीद से कम ही हासिल कर पाएंगे क्योंकि जिंदगी मे ऐसे कै मौके आएंगे जहां लोग आपसे बेहतर साबित होंगे
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