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2020 माँ पर 3 बहतरीन कविताएं 3 new best short poem on mother in hindi-2020

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माँ पर 3 बहतरीन कविताएं 3 best short poem on mother in hindi-2020 1.माँ तो बस माँ होती शब्द नहीं माँ कैसी होती  माँ तो बस माँ जैसी होती , माँ का प्यार है बड़ा निराला , ईश्वर का भी सिर झुका डाला , मैं मस्तक हु वो ताज हैं , मेरी माँ को मुझपर नाज है , कुछ ना होता जो माँ ना होती।  मैं अक्षर हूँ तो वह भाषा है , मेरी माँ का प्रेम मेरी अभिलाषा है , और क्या मैं कहूँ दोस्तों  ,  अम्बर ना होता , धरती ना होती , जो इस दुनिया मे मेरी माँ ना होती  2. मेरी माँ है ममता की मूरत..  मेरी माँ है ममता कि मूरत , इस भीड़ वाली दुनिया मे अलग सी सूरत , माँ तुम हो मेरी हर जरूरत की जरूरत ..  माँ तुम हो मेरी हर जरूरत की जरूरत, जिसे आज भी मैं नहीं भूल पाता हूँ ।  मे तो था अकेला स असहाय नन्हा सा बच्चा..  मे तो था अकेला स असहाय  नन्हा सा बच्चा , जिसे मिली इस दुनिया मे तुम जैसी माँ सच्ची , माँ आज भी तेरी याद आती है बहुत आती है , माँ वो तुम ही थी जिसने मुझे उंगली पकड़ चलना सिखाया , माँ वह तुम ही थी जिसने हर मुश्किल से बचाया , आज मैं भले ही तुझसे दूर हूँ , लेकिन फिर ही ...

2020 प्राकृतिक सुंदरता पर 9 बेहतरीन कविताएं 9 + new best poems on nature in hindi for class 1-10

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प्राकृतिक सुंदरता पर 9 बेहतरीन कविताएं 9 + बेस्ट poem on nature in hindi for class 1-10 नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे हिन्दी ब्लॉग himachaljosh.in और आज मई ले के आया हूँ आओके लिए कुछ प्राकृतिक कविताएं और मई उम्मीद करता हूँ कि आपको ये कविताएं पसंद आए और अगर पसंद आए तो इन्हे share जरूर करें तो चलिए शुरू करते हैं आपका बिना समय लेकर 1. प्राकृतिक संदेश  पर्वत कहता शीश उठाकर, तुम भी ऊंचे बन जाओ  सागर कहता है लहराकर , मन मे गहराई लाओ  समझ रहे हो क्या कहती है  उठ - उठ गिर गिर तरंग तल ।  भर लो भर लो अपने दिल मे , मीठी मीठी मृदुल उमंग  पृथ्वी कहती है धैर्य न छोड़ो , कितना ही हो सिर पर भार ।  नभ कहता है इतना फैलो, धक लो टीम सारा संसार  2. पेड़ काटना बंद करो  पेड़ों को तुम काट रहे हो , प्रदूषण को तुम पाल रहे हो, पेड़ों को तुम काट रहे हो , प्रदूषण को तुम पाल रहे हो, इस जीवन को मानव संकट मे क्यों डाल रहे हो , जो पेड़ तुम्हें जीवन देते उन्ही का जीवन तुम लेते हो , पेड़ों को तुम काट काट संकट को बुलावा देते हो, पेड़ों को तुम काट काट संकट को बुलावा देते ह...