2020 New Best Motivational Story for Students in Hindi For Success-पिता और पुत्र
एक गाँव मे एक मूर्तिकार रहा करता था वह गाँव मे बहुत अछि मूर्तियाँ बनाया करता था और इस काम से वह अच्छा खास कमा लेता था जिससे कि उसका जीवन चल सके,एक दिन उसे एक बेटा हुआ बेटा बड़ा हुआ और उस बच्चे ने बचपन से ही मूर्तियाँ बनानी शुरू कर दी। बेटा बहुत अछे मूर्तियाँ बनाया करता था और पिता अपने बेटे के काम को देखर बहुत खुश होता था
बेटा अछी मूर्तियाँ तो बनाता था लेकिन बाप हर बार कोई न कोई कमी निकाल देता था वह हर बार कहता था कि बहुत अच्छा किया है लेकिन अगली बार इस कमी को दूर कर देना, बेटा भी कोई शिकायत नहीं करता था और बाप की सलाह पर अमल करता रहा और मूर्तिया बनाता रहा
इस लगातार सुधार से बेटे की मूर्तियाँ बाप से भी अछी बनने लगी और ऐसा समय भी आ गया कि लोग बेटे मूर्तियों को अच्छा पैसा देकर खरीदने लगे जबकि बाप की मूर्तियाँ उसकी पहली वाली कीमत पर ही बिकती रही। बाप अभी भी बेटे की मूर्तियों मे कमी निकाल देता था लेकिन बेटे को यह चीज अब बिल्कुल भी अछी नहीं लगती थी और इन मन के उन गलतियों पर अमल करता था और उन्हे सुधार ही देता था
एक समय ऐसा भी आया जब बेटे का सब्र टूट गया और अपने बाप से कहने लगा कि आप तो ऐसे कह रहे हो जैसे आप बहुत बड़े कलाकार है अगर आपकी सलाह इतनी सही होती तो आपकी मूर्तिया कम कीमत पर नहीं बिकती अब मुझे नहीं लगता कि आपकी सलाह की मुझे जरूरत है और मेरी मूर्तियाँ एकदम सही है
बाप ने बेटे की यह बात सुनी और उसने बेटे को सलाह देना और बेटे की मूर्तियों मे कमी निकालना बंद कर दिया। कुछ दिन तो वह लड़का खुश रहने लगा लेकिन उसके बाद लोग उसकी मूर्तियाँ पसंद नहीं करने लगे थे जितना पहले करते थे और उसकी मूर्तियों के दाम बढ़ना भी बंद हो गए, शुरू मे तो उसे समझ नहीं आया लेकिन बाद मे वह अपने बाप के पास गया और उसको अपनी समस्या का हाल बताया
बाप ने बेटे को बड़े ही शांति से सुना जैसे कि उसे अफले से पता था कि उसके साथ यह होने वाला था,बेटे ने पूछा क्या आपको पहले से पता था कि यह होने वाला है ?बाप ने कहा हाँ आज से कै साल पहले मई भी ऐसे ही हालात से टकराया था, बेटे ने कहा कि आपने मुझे समझाया क्यों नहीं बाप ने जवाब दिया कि तुम समझना नहीं चाहते थे ।
बाप ने कहा कि मैं जानता हु कि तुम्हारे जितनी अछी मूर्तियाँ मई नहीं बना सकता और ऐसा भी हो सकता है कि शायद मूर्तियों के बारे मे मेरी सलाह गलत हो और ऐसा भी नहीं है कि मेरी सलाह की वजह से तुम्हारी मूर्ति बेहतर बनी हो। लेकिन जब तुम मूर्तिया बनाते थे और तुमे मै तुम्हारी मूर्तियों मे कमियाँ निकलता था और तुम्हें यह चीज अछि नहीं लगती थी और तुम अगली बार और अछी मूर्ती बनाते थे ताकि फिर से मई कोई कमी ना निकाल सकूँ
तुम हर बार खुद को बेहतर करने की कोशिश करते थे और वही बेहतर करने की कोशिश ही तुम्हारी कामयाबी का कारण था, लेकिन जिस दिन मैंने बोलना बंद कर दिया और तुम अपने काम से खुश satisfy हो गए तुम्हारी growth रुक गई। लोग तुमसे तुम्हारे बेहतर की अपेक्षा करते हैं और यही कारण है कि अब तुम्हारी मूर्तियाँ इतनी पसंद नहीं की जाने लगी और ना ही तुम्हें अब उसके लिए ज्यादा पैसे मिलते है
बेटा थोड़ी देर चुप रहा और बोल कि अब मुझे क्या करना होगा ? बापप ने एक line मे जवाब दिया unsatisfy होना सीख लो हर बार माँ लो कि तुममे अभी भी बेहतर होने की गुंजाइश है यही एक बात तुम्हें आगे और भी बेहतर होने लिए inspire करती रहेगी तुम्हें हमेशा बेहतर बनाती रहेगी
Moral Of The Story - Never Satisfy By Your Work Keep your Growth Always On
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