टूट चुके हो ? इस कहानी को पढ़ने के बाद कभी नहीं टूटोगे - Short motivational story in hindi for success
टूट चुके हो ? इस कहानी को पढ़ने के बाद कभी नहीं टूटोगे - Short motivational story in hindi for success
नमस्कार आपका स्वागत है अहमारे ब्लॉग हिमाचलजोश मे । कई बार हम ऐसी परिस्थितियों मे आ जाते हैं कि हमे आगे कुछ भी नहीं दिखाई देता और हम टूट कर हार माँ लेते हैं लेकिन इस कहानी ओ पढ़ने के बाद आपका नजरिया बदल जाएगा और आप अलग से सोचने लगोगे । तो दोस्तों बिना आपका समय लिए शुरू करते हैं इस बेहतरीन मोटिवेशन कहानी को
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एक मेंढ़क और एक मेंढकी एक कुँए में रहते थे बड़े आराम से। दोनों पति-पत्नी बहुत प्यार से जीवन व्यतीत कर रहे थे।दोनों में प्रेम की कमी नहीं थी लेकिन विचारों की बहुत भिन्नता थी।
जहाँ एक और मेंढक नास्तिक था और सिर्फ़ हक़ीक़त व वास्तविकता पर विश्वास करता था वहीं दूसरी तरफ़ मेंढकी ईश्वर के प्रति सम्पूर्ण समर्पित थी। मेंढकी का विश्वास था कि ईश्वर उसे किसी भी मुसीबत से निकाल लेंगे लेकिन मेंढक उसकी इस सोच पर हँसता रहता था।
एक दिन कुँए में एक साँप आ गया जाने कहाँ से?
मेंढक और मेंढकी बहुत डर गए। उन्हे लगने लगा कि अब उनका बचना नामुमकिन है। मेंढक एकदम से निराश टूट गया और आँखे बंद करके बैठ गया जैसे ही साँप उनके नजदीक आया। इधर मेंढकी ने ईश्वर से प्रार्थना करनी शुरू की, उसे विश्वास था कि ईश्वर उसके जीवन की रक्षा करेंगे।
मेंढक ने फ़िर से उस पर गुस्सा किया कि चुप रहो। कोई नहीं आएगा यहाँ मदद करने।
जैसे ही साँप ने अपना मुँह खोला एक बाल्टी ऊपर से आई और मेंढक व मेंढकी पानी के साथ बाल्टी में ऊपर चले गए।
"देखा मैंने कहा था ना ईश्वर हमारे साथ है।", मेंढकी ने ईश्वर का धन्यवाद करते हुए कहा।
"ये सिर्फ़ एक इत्तेफाक था कि हम बच गए।", मेंढक ने मुँह बनाते हुए कहा।
तभी बाल्टी का वो पानी मिट्टी के एक घड़े में डाल दिया गया। इससे पहले कि मेंढक और मेंढकी घड़े से बाहर निकल पाते, घड़े को ऊपर से ढक दिया गया। और नीचे से आग चालू कर दी।
जैसे ही पानी का तापमान बढ़ने लगा मेंढकी ने फ़िर से ईश्वर की प्रार्थना की।
"हाँ अब बुलाओ अपने ईश्वर को मदद के लिए। देखें हम कैसे बचते है? अब कुछ नहीं हो सकता हम नहीं बचेंगे।", मेंढक ने निराश होते हुए कहा।
तभी मिट्टी का घड़ा एकदम से चटक गया और मेंढक और मेंढकी बाहर आ गए।
जब आप टूटा हुआ महसूस कर रहे हो, रास्ते हर तरफ़ से बंद नज़र आ रहे हो। जब आपको लगें कि चीजें आपके हाथ मे नहीं है तब ईश्वर को समर्पण करना ही उचित है।
धैर्य रखिए। परिस्थितियों के बदलने का इंतजार करिए। एक दिन आयेगा जब चीजें आपके हाथों में होगी।
तो दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी हमे जरूर बताए और अगर आपको कहानी जारा सी भी पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर सांझा कीजिए कुनकी क्या पता आपके एक शेयर से किसी की जिंदगी बदल जाए और आप किसी के प्रेरक बन जाए तो बेझिझक इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ share करें और अगर आपके पास समय है तो स्वामी विवेकानंद जी की कहानी जरूर पढ़ें कि कैसे उन्होंने मात्र 40 वर्ष की उम्र के अंदर बहुत कुछ हासिल कर लिया
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